Edited By Deepender Thakur, Updated: 21 May, 2024 12:07 PM
नजफगढ़ के धन्वन्तरी आयुर्वेद संस्थान ने किडनी फेलियर की स्थिति में पहुंच चुके कई मरीजों की जिंदगी को बेहतर बनाया है ।
नजफगढ़ के धन्वन्तरी आयुर्वेद संस्थान ने किडनी फेलियर की स्थिति में पहुंच चुके कई मरीजों की जिंदगी को बेहतर बनाया है । आयुर्वेदाचार्य डा. दीपक धनखड़ ( Dr Deepak Dhankhar) कहते हैं कि आयुर्वेद से किडनी फेलियर के पेशेंट को डायलिसिस से बचाया जा सकता है व डायलिसिस को बंद भी किया जा सकता है |
देश की पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ने कई असाध्य रोगों व संकट के समय पूरी दुनिया को संजीवनी दी है। इसी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति ने अब किडनी रोगियों के लिए उम्मीद की नई किरण जगा दी है। आज असंख्य लोग इसी पद्धति को अपनाकर घातक से घातक बीमारियों से निजात पा रहे है | असल में आयुर्वेद ऐसे मरीजो के लिए वरदान साबित हो रहा है | यह बात डॉ दीपक धनखड़ ने हमारे संवाददाता से बातचीत में कही | उन्होंने बताया कि भारत की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद से किडनी का ईलाज व रोकथाम संभव है | डॉ दीपक धनखड़ के अनुसार आज के दौर में इंसान की बदलती जीवनशैली व इंसानी जीवन में लगातार हावी हो रहा तनाव , विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण बन रहा है
| ये सब इंसान को हाई ब्लड प्रेशर , शुगर व किडनी फेलियर जैसी जानलेवा बीमारियों की सौगात दे रहा है | इसी सिलसिले में हम मिले नजफगढ़ , दिल्ली निवासी दयाराम जी व उनके बेटे से | उन्होंने बताया कि पेशे से वे एक ट्रक ड्राइवर थे और अत्यधिक तनाव भरा पेशा होने के कारण उन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हुई और जिसके चलते उनकी किडनी खराब हो गई| जब धीरे धीरे उनका क्रिएटिनिन ज्यादा बढ़ गया तो उनके डॉक्टर ने उन्हें डायलिसिस की सलाह दी | उन्होंने नजफगढ़ के ही एक अस्पताल से डायलिसिस करानी शुरू की जिसके कारण वो वेंटीलेटर पर भी गए, उस समय उनका क्रिएटिनिन लेवल 10.23 mg/dl व यूरिया लेवल 255 mg/dl था |
18 फरवरी 2024 को दयाराम जी ने आखरी बार डायलिसिस कराई | तब उन्हें डॉ दीपक धनखड़ के बारे में पता चला व उन्होंने अपना आयुर्वेदिक ईलाज प्रारंभ किया | उनके अनुसार कुछ दिनों के बाद ही उन्हें आराम मिलना शुरू हो गया था, जहां पहले डायलिसिस कराने के बाद भी उनका क्रिएटिनिन कम होने का नाम नही ले रहा था। वहीं 23 मार्च 2024 को उनका क्रिएटिनिन कम होकर 5.76 mg/dl व यूरिया लेवल 79.1 mg/dlहो गये थे, वह भी बिना किसी डायलिसिस के | दयाराम जी के अनुसार अब उनको डायलिसिस करवाए तक़रीबन 3 महीने हो गए है तथा उनका पोटैशियम व फास्फोरस का स्तर भी पूरी तरह से कंट्रोल में है | आयुर्वेदिक चिकित्सा से पहले उनको भूख कम लगती थी , श्वास काफी फूलता था , कमजोरी रहती थी अब उनको इन सभी लक्षणों में भी लाभ है।उनके अनुसार डॉ दीपक धनखड़ की आयुर्वेदिक दवाई का उन पर काफी अच्छा असर हुआ है |
डॉ दीपक धनखड़ ने बताया कि दयाराम जी की यह रिकवरी सिर्फ इस लिए सम्भव हो पाई क्यूँकि उन्होंने समय से दवाई का सेवन किया व ढंग से डाइट चार्ट का पालन किया व उनकी कही बात को पत्थर की लकीर समझा | डॉ दीपक धनखड़ के अनुसार रिकवरी सिर्फ तभी संभव है जब मरीज डॉक्टर की बात का अच्छे से पालन करे , दवाईयों को उनका असर दिखाने का समय दे , मनमानी करने वाले मरीज में कभी भी रिकवरी नहीं आती व ऐसा मरीज कभी भी डायलिसिस के चंगुल से नहीं निकल सकता |