अनुसूचित जाति समुदाय के लिए बड़ा तोहफा, मुख्यमंत्री ने कानून अधिकारियों की नियुक्ति के लिए लिया ऐतिहासिक फैसला

Edited By Rahul Singh, Updated: 11 Apr, 2025 07:36 PM

chief minister took a historic decision for the appointment of law officers

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट ने राज्य में अनुसूचित जाति समुदाय को कानून अधिकारियों के रूप में संविदा पर भर्ती में उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए अध्यादेश जारी करने की मंजूरी दे दी है।

चंडीगढ़ : मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट ने राज्य में अनुसूचित जाति समुदाय को कानून अधिकारियों के रूप में संविदा पर भर्ती में उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए अध्यादेश जारी करने की मंजूरी दे दी है। इस संबंध में फैसला आज मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उनके आधिकारिक निवास पर हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।  

इसका खुलासा करते हुए आज यहां मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि कैबिनेट ने पंजाब लॉ ऑफिसर्स (एंगेजमेंट) एक्ट, 2017 में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी करने को मंजूरी दे दी है। इस कदम का उद्देश्य राज्य में अनुसूचित जाति समुदाय से संबंधित कानून अधिकारियों की संविदा पर नियुक्ति के लिए आय मानदंडों में छूट देने की मंजूरी देना है। आय मानदंडों में छूट देने का उद्देश्य ए.जी. कार्यालय, पंजाब में कानून अधिकारियों के रूप में संविदा पर नियुक्ति के लिए अनुसूचित जाति समुदाय के सदस्यों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करना है।  

इंप्रूवमेंट ट्रस्टों के आवंटियों के लिए एकमुश्त राहत को मंजूरी 

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में मंत्रिमंडल ने राज्य के इंप्रूवमेंट ट्रस्टों के आवंटियों के लिए गैर-निर्माण शुल्क और बकाया आवंटन राशि के संबंध में एकमुश्त राहत (ओ.टी.आर.) देने की नीति को भी मंजूरी दे दी है। यह फैसला आवंटियों को बड़ी राहत देगा क्योंकि उनका ब्याज माफ हो जाएगा।  

ब्लॉकों के पुनर्गठन के लिए सहमति

भौगोलिक और प्रशासनिक पहुंच बढ़ाने, कार्य कुशलता में सुधार, खर्च कम करने और विधायी समन्वय बनाए रखने के लिए मंत्रिमंडल ने राज्य में मौजूदा ब्लॉकों के पुनर्गठन और इसे तर्कसंगत बनाने के लिए भी हरी झंडी दे दी है। व्यापक जनहित में बेहतर प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए इन ब्लॉकों के पुनर्गठन की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में 154 ब्लॉक हैं और कई अस्पष्टताओं के कारण इन ब्लॉकों में प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।  

मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों और प्रोफेसरों की सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि 

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में मंत्रिमंडल ने मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान विभाग के तहत मेडिकल कॉलेजों में सेवानिवृत्ति की आयु को मौजूदा 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दिया है। इस फैसले से मेडिकल कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में मदद मिलेगी, जिससे इन कॉलेजों में पढ़ रहे छात्रों को बड़ा लाभ होगा।  

आवश्यकता पड़ने पर सेवानिवृत्त विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाओं को हरी झंडी  

मंत्रिमंडल ने सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी से निपटने के लिए सेवानिवृत्त डॉक्टरों की सेवाएं लेने की मंजूरी दे दी है। जनहित में आवश्यकता पड़ने पर हर साल इन डॉक्टरों की सेवाएं ली जाएंगी।

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