Edited By Dishant Kumar, Updated: 04 Oct, 2023 08:00 PM
दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी भारत में है। हमारे देश के युवा शिक्षा, उद्यमिता, इनोवेशन एवं अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल करते जा रहे हैं। ऐसी ही एक उपलब्धि मिली है, फिरोजपुर, पंजाब में पले-बढ़े और इलाहाबाद के रहने वाले अनित्य कुमार गुप्ता को।...
दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी भारत में है। हमारे देश के युवा शिक्षा, उद्यमिता, इनोवेशन एवं अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल करते जा रहे हैं। ऐसी ही एक उपलब्धि मिली है, फिरोजपुर, पंजाब में पले-बढ़े और इलाहाबाद के रहने वाले अनित्य कुमार गुप्ता को। अनित्य शूलिनी यूनिवर्सिटी से रामानुजन रिसर्च एसोसिएट हैं, जिनके पास विदेश में प्राप्त किया गया दूसरा सबसे तेज़ पेटेंट है।
शूलिनी में अनित्य कुमार गुप्ता (पीएचडी) ने एसआरपी बीटेक बायोटेक प्रथम वर्ष के छात्र, सतादित्य जना के साथ मिलकर एक पोर्टेबल डोंगल बनाया था, जो अतुलनीय साइबरसिक्योरिटी और सुरक्षा प्रदान करता है। इस डोंगल पर सरकारों और विशेषज्ञों का ध्यान गया, और यूनाइटेड किंगडम में इस पोर्टेबल डोंगल को केवल सात दिनों में ही पेटेंट दे दिया गया। यह विदेश में दिया गया अब तक का दूसरा सबसे तेज पेटेंट है। आज की डिजिटल दुनिया में चूँकि डेटा में सेंध लगाये जाने और साइबर खतरों की घटनाएं होती रहती हैं, इसलिए डिजिटल दुनिया में हमें सुरक्षित रखने के लिए एक मज़बूत शील्ड की ज़रूरत बढ़ती जा रही है। यह ज़रूरत इस इनोवेशन द्वारा पूरी होती है।
इसके अलावा, अनित्य को कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक सराहनाएं मिल चुकी हैं। उन्हें गूगल से सराहना, मशहूर फॉक्स स्टोरी प्रोग्राम में 'स्पार्कलिंग लीडर' के रूप में पहचान और प्रतिष्ठित हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह मिल चुकी है। इसके अलावा जी20 अभियान में जापान द्वारा आयोजित फ्यूचर ग्लोबल लीडर शिखर सम्मेलन के लिए उन्हें 200 भारतीयों प्रतिनिधियों के दल में भी चुना जा चुका है।
अनित्य का शैक्षणिक सफ़र आईसीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूल से शुरू हुआ, जिसके बाद उन्होंने क्लाउड कंप्यूटिंग में बी.टेक किया। कॉलेज के दिनों में अनित्य के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया, जब उन्हें प्रसिद्ध वैज्ञानिक एस. के. सलमान का मार्गदर्शन मिला, जो भारत के पूर्व राष्ट्रपति, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम कर चुके थे। इस मार्गदर्शन ने अनित्य के लिए बहुमूल्य अवसरों के द्वार खोल दिये। कॉलेज के तीसरे वर्ष में वो भारत की प्रतिष्ठित डीआरडीओ डिफेंस बॉडी में शामिल हो गए, और उसके बाद आईआईटी शिकागो से मास्टर डिग्री करने के लिए अमेरिका चले गए।
शूलिनी यूनिवर्सिटी से वो संयोगवश जुड़े। अनित्य एक बार लिंक्डइन की एक पोस्ट देख रहे थे, जिसमें शूलिनी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अतुल खोसला की मां की कहानी ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। तभी उन्हें पहली बार प्रो. अतुल खोसला के बारे में पता चला। इसके बाद अमेरिका में एनवाईयू में प्रोफेसर अतुल के साथ 10 मिनट की छोटी लेकिन सार्थक चर्चा से उनकी इस प्रारंभिक रुचि को बल मिला, और उन्हें एहसास हुआ कि उनके बौद्धिक दृष्टिकोण एक से थे।
अनित्य कुमार गुप्ता ने कहा, “शूलिनी के उच्च प्रबंधन ने मुझे असाधारण सहयोग और विश्वास प्रदान किया, जिससे मेरे जीवन में परिवर्तन आ गया। यह केवल प्रोत्साहन नहीं, बल्कि मेरे परिवर्तनकारी विकास और उपलब्धियों का एक उत्प्रेरक है।”
शूलिनी यूनिवर्सिटी भारत की पहली बायोटेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी है, जो अपनी बेहतरीन फैकल्टी, अत्याधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, लाइव शोध परियोजनाओं और सफल प्लेसमेंट के लिए मशहूर है। बायोटेक अनुसंधान की ओर इसका बहु-विषयक दृष्टिकोण देश के लिए महत्वपूर्ण विषयों जैसे फार्मास्युटिकल्स, कृषि व निदान पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। शूलिनी में अनित्य को सबसे ज़्यादा अनुकूल, मार्गदर्शित और सुविधाओं से युक्त शोध का वातावरण मिला।
अनित्य ‘देश में सकारात्मक परिवर्तन लाने’ के लिए भारत के प्रधानमंत्री के लोकसेवा सलाहकार के पद की ओर केंद्रित रहते हुए, शूलिनी यूनिवर्सिटी को प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ के बीच अनुसंधान और इनोवेशन का महत्वपूर्ण केंद्र बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। वो अगस्त 2023 में शुरू हो चुकी शूलिनी विद्यार्थी अनुसंधान परिषद से हर सेमेस्टर में 40 शोधपत्र और 10 वैश्विक पेटेंट प्रदान करना चाहते हैं। वो दो क्वांटम कंप्यूटिंग कंपनियाँ स्थापित करना चाहते हैं, जो सीधे डिफ़ेंस ऑफ़ इंडिया के साथ सहयोग करेंगी और टेक्नोलॉजी एवं सिक्योरिटी की सीमाओं का विस्तार करेंगी।
शोध के क्षेत्र में अनित्य की उपलब्धियों के बारे में शूलिनी यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर, विशाल आनंद ने कहा, “अनित्य कुमार गुप्ता का सफ़र शिक्षा, मेंटरशिप और दृढ़ निश्चय की शक्ति का प्रमाण है। शूलिनी यूनिवर्सिटी युवा प्रतिभाओं और भारत में इनोवेशन की भावना का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है। शोध, इनोवेशन, और देश सेवा द्वारा स्थायी परिवर्तन लाने की उनके मिशन के साथ हम उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों की सराहना करते हैं, और आशा करते हैं कि वो विश्व स्तर पर अपना उल्लेखनीय योगदान देते रहेंगे।”