Edited By kahkasha, Updated: 05 Sep, 2025 12:53 PM

हिंदी हमारी आत्मा की आवाज़ है, हमारी जड़ों की खुशबू है, हमारी पहचान का आईना है।
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। हिंदी हमारी आत्मा की आवाज़ है, हमारी जड़ों की खुशबू है, हमारी पहचान का आईना है। हिंदी दिवस पर पुरस्कार विजेता गीतकारा, रचनाकारा और साहित्यकारा ललिता गोइन्का कहती हैं कि हिंदी सिर्फ़ भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की धड़कन है। इसमें गाँव की मिट्टी की महक, संतों की वाणी और हमारे बड़ों की कहानियाँ बसी हुई हैं।
ललिता गोइन्का मानती हैं कि अंग्रेज़ी हमें दुनिया से जोड़ती है, लेकिन हिंदी हमें अपनेपन से जोड़ती है। साहित्य और सिनेमा में हिंदी करोड़ों दिलों को एक सूत्र में पिरोती है। उन्हें विश्वास है कि आने वाले समय में हिंदी वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित होगी।
ललिता कहती हैं कि उन्होंने हिंदी में लिखे हर गीत में अपनी आत्मा का अंश डाला है। हिंदी के शब्द केवल अक्षर नहीं हैं, वे भावनाएँ हैं। इन्हीं के माध्यम से वो प्रेम, वात्सल्य, आनंद और भक्ति के भावों को सहजता से व्यक्त कर पाती हैं।
युवाओं के लिए ललिता का संदेश है—जितनी भी भाषाएँ सीखो, सीखो, पर अपनी उस भाषा को कभी मत भूलो जो तुम्हें तुम्हारी मूल जड़ की भाषा है और हमें अपनी संस्कृति से जोड़ती है। यह तुम्हें तुम्हारे पूर्वजों से जोड़ती है और गर्व व गौरव का एहसास कराती है।
ललिता याद दिलाती हैं कि पूरी दुनिया में हिंदी ही वह भाषा है जिसकी वर्णमाला अ यानि अनपढ़ से शुरू होकर ज्ञ यानि ज्ञानी पर समाप्त होती है। उनके लिए हिंदी माँ की गोद जैसी है—जहाँ सुरक्षा, शांति और सुकून सभी का एक अनोखा संगम है। उन्हें एक माँ की गोद का सा ही सुकून हिंदी लिखने, पढ़ने और उसके करीब रहने से मिलता है।
हिंदी दिवस ललिता के लिए हमारी सामूहिक पहचान का उत्सव है—हमारी कहानियों, हमारी आत्मा और हमारी संस्कृति का उत्सव।